२००८ में प्रकाशित हम जंगल के अमलतास भगवत दुबे का नवगीत संग्रह है। इसके प्रकाशक हैं- कादंबरी प्रकाशन, २६७२ विमल स्मृति, समीप पिसनहारी मढ़िया, जबलपुर ४८२००३, मूल्य है १५० रुपये और इसमें १२० पृष्ठ हैं।
इन नवगीतों में खड़ी हिंदी, देशज बुन्देली, यदा-कदा उर्दू व अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग, मुहावरों तथा लोकोक्तियों का प्रयोग हुआ है जो लालित्य में वृद्धि करता है। दुबे जी कथ्यानुसार प्रतीकों, बिम्बों, उपमाओं तथा रूपकों का प्रयोग करते हैं। उनका मत है- 'इस नयी विधा ने काव्य पर कुटिलतापूर्वक लादे गए अतिबौद्धिक अछ्न्दिल बोझ को हल्का अवश्य किया है।' हम जंगल के अमलतास' एक महत्वपूर्ण नवगीत संग्रह है जो छान्दस वैविध्य और लालित्यपूर्ण अभिव्यक्ति से परिपूर्ण है।
बाह्य सूत्र[]
- हम जंगल के अमलतास संजीव वर्मा सलिल की समीक्षा।