१९९८ में प्रकाशित वक्त आदमखोर, रचनाकार- मधुकर अष्ठाना का पहला नवगीत संग्रह है। इसके प्रकाशक हैं- अस्मिता प्रकाशन, इलाहाबाद, प्रथम मूल्य- १५० रुपये है और इसमें १२६ पृष्ठ हैं।
मधुकर जी के इन नवगीतों की विशिष्ट भाषा, अछूता शब्द चयन, मौलिक सोच, यथार्थवादी प्रतीक, अछूता बिम्ब संयोजन, देशज-परिनिष्ठित शब्द प्रयोग, मुहावरों और कहावतों की तरह सरस लच्छेदार शब्दावली, सहज भाव मुद्रा, स्पष्ट वैषम्य चित्रण तथा तटस्थ-निरपेक्ष अभिव्यक्ति उनकी पहचान स्थापित करती है। इन नवगीतों की विशिष्ट भाषा, अछूते शब्द विन्यास, मौलिक उद्भावनाएँ, यथार्थवादी प्रतीक, अनछुए बिम्बों का संयोजन, मुहावरेदारी तथा देशज शब्दों का संस्कारित प्रयोग उन्हें अन्य रचनाकारों से पृथक पहचान देने में समर्थ है।
बाह्य सूत्र[]
- वक्त आदमखोर संजीव वर्मा सलिल की समीक्षा।
मधुकर अष्ठाना की कृतियाँ
|
---|
वक्त आदमखोर | न जाने क्या हुआ मन को | और कितनी देर | मुट्ठी भर अस्थियाँ | दर्द जोगिया ठहर गया | कुछ तो कीजिये | हाशिये समय के | खाली हाथ कबीर | पहने हुए धूप के चेहरे |