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नवगीत की परिभाषा
नवगीत में गीत होना ज़रूरी है। यों तो किसी भी गुनगुनाने योग्य शब्द रचना को गीत कहने से नहीं रोका जा सकता। किसी एक ढाँचे में रची गयीं समान पंक्तियो वाली कविता को किसी ताल में लयबद्ध करके गाया जा सकता हो तो वह गीत की श्रेणी में आती है, किन्तु साहित्य के मर्मज्ञों ने गीत और कविता में अन्तर करने वाले कुछ सर्वमान्य मानक तय किये हैं। छन्दबद्ध कोई भी कविता गायी जा सकती है पर उसे गीत नहीं कहा जाता। गीत एक प्राचीन विधा है जिसका हिंदी में व्यापक विकास छायावादी युग में हुआ। गीत में स्थाई और अंतरे होते हैं। स्थाई और अन्तरों में स्पष्ट भिन्नता होनी चाहिये। प्राथमिक पंक्तियां जिन्हें स्थाई कहते हैं, प्रमुख होती है, और हर अन्तरे से उनका स्पष्ट सम्बन्ध दिखाई देना चाहिये। गीत में लय, गति और ताल होती है। इस तरह के गीत में गीतकार कुछ मौलिक नवीनता ले आये तो वह नवगीत कहलाने लगता है। विस्तार में... नवगीत की परिभाषा
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क्या आप जानते हैं...
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- नवगीत, हिन्दी काव्य-धारा की एक नवीन विधा है।
- नवगीत के प्रवर्तक सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' माने जाते हैं।
- नवगीत आंदोलन की स्थापना का श्रेय शंभुनाथ सिंह को दिया जाता है।
- आंचलितकता, लोक गीतात्मकता और लोक गीतात्मक प्रवृत्तियों के साथ साथ नवगीत महानगर और प्रकृति के सामयिक यथार्थ के साथ भी जुड़ा हुआ है।
- नवगीत दशक-१ , नवगीत दशक-२, नवगीत दशक-३ नवगीतों के महत्त्वपूर्ण प्रारंभिक संकलन हैं।
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नवगीत समाचार-
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लखनऊ २६ एवं २७ नवंबर २०११ को अभिव्यक्ति विश्वम् के सभाकक्ष में जाल पत्रिकाओं अभिव्यक्ति एवं अनुभूति द्वारा नवगीत परिसंवाद एवं विमर्श का सफल आयोजन किया गया। इस अवसर पर १८ वरिष्ठ नवगीतकारों सहित नगर के जाने माने अतिथि, वेब तथा मीडिया से जुड़े लोग, संगीतकार व कलाकार उपस्थित थे। निरंतर दो दिवस चले छह सत्रों में नवगीत के विभिन्न पहलुओं, यथा- नवगीत की वर्तमान स्थिति, नवगीत का उद्गम इतिहास, वर्तमान चुनौतियों एवं नवगीत हेतु आवश्यक मानकों एवं प्रतिबद्धताओं पर विस्तृत सार्थक चर्चा हुई। चित्र में उद्घाटन करते हुए नवगीतकार माहेश्वर तिवारी।
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पुरस्कार और सम्मान...
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नव गठित संस्थान ‘साहित्य की चौपाल’ एवं जनवादी लेखक संघ, छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में सिंघई विला, भिलाई में महा शिवरात्रि २० फरवरी, २०१२ को आयोजित एक भव्य समारोह में बिहार के सुविख्यात जनवादी नव गीतकार नचिकेता को प्रमोद वर्मा काव्य सम्मान-२०१० से सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय है कि प्रथम प्रमोद वर्मा काव्य सम्मान से चौथे सप्तक के कवि एवं राष्ट्रीय हिंदी अकादमी के अध्यक्ष डॉ. स्वदेश भारती को मई, २००९ में सम्मानित किया गया था। प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान के अध्यक्ष व पुलिस महानिदेशक, होमगार्डस् सुकवि श्री विश्वरंजन की अध्यक्षता में सम्पन्न इस आयोजन में छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के अध्यक्ष पं. दानेश्वर प्रसाद शर्मा, सुप्रसिद्ध समालोचक श्री ओमराज, देहरादून एवं वरिष्ठ कवि अशोक शर्मा विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
देखें- पुरालेख पुरस्कार समाचार
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