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! style="padding:2px;" | <h2 id="mp-itn-h2" style="margin:3px; background:#cedff2; font-size:120%; font-weight:bold; border:1px solid #a3b0bf; text-align:left; color:#000; padding:0.2em 0.4em;">नवगीत समाचार-</h2>
 
! style="padding:2px;" | <h2 id="mp-itn-h2" style="margin:3px; background:#cedff2; font-size:120%; font-weight:bold; border:1px solid #a3b0bf; text-align:left; color:#000; padding:0.2em 0.4em;">नवगीत समाचार-</h2>
 
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| style="color:#000; padding:2px 5px;" | <div id="mp-itn">[[File:Unnamed.jpg|left|thumb|140x140px]]नई दिल्ली, पुस्तक मेले के इतिहास में पहली बार- १७ फरवरी, २०१५ (मंगलवार), समय - सुबह ११ से १२ बजे के बीच पुस्तक मेले के हॉल सख्या - आठ में नवगीत पर एक विशेष परिचर्चा / संवाद का आयोजन किया गया। ‘समाज का प्रतिबिम्ब हैं नवगीत’ विषय का प्रवर्तन करते हुए इस परिचर्चा का संचालन नवगीतकार ओमप्रकाश तिवारी ने किया। विषय पर वक्तव्य प्रस्तुत करने वाले अन्य विद्वान थे, वरिष्ठ नवगीतकार एवं समालोचक राधेश्याम बंधु, नवगीतकार एवं समीक्षक आचार्य संजीव सलिल, नवगीतकार डॉ. जगदीश व्योम तथा नवगीताकार सौरभ पांडेय। चर्चा में वक्तव्य के बाद खुली बहस ने दर्शकों को लुभाया। [[अन्य समाचार]]</div>
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| style="color:#000; padding:2px 5px;" | <div id="mp-itn">[[File:Unnamed.jpg|left|thumb|140x140px]]नई दिल्ली, पुस्तक मेले के इतिहास में पहली बार- १७ फरवरी, २०१५ (मंगलवार), समय - सुबह ११ से १२ बजे के बीच पुस्तक मेले के हॉल सख्या - आठ में नवगीत पर एक विशेष परिचर्चा / संवाद का आयोजन किया गया। ‘समाज का प्रतिबिम्ब हैं नवगीत’ विषय का प्रवर्तन करते हुए इस परिचर्चा का संचालन नवगीतकार ओमप्रकाश तिवारी ने किया। विषय पर वक्तव्य प्रस्तुत करने वाले अन्य विद्वान थे, वरिष्ठ नवगीतकार एवं समालोचक राधेश्याम बंधु, नवगीतकार एवं समीक्षक आचार्य संजीव सलिल, नवगीतकार डॉ. जगदीश व्योम तथा नवगीताकार सौरभ पांडेय। वक्तव्य के बाद प्रश्नोत्तरी दर्शकों के लिये विशेष आकर्षण रही। '''देखें- पुरालेख [[अन्य समाचार]]'''</div>
 
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! style="padding:2px;" | <h2 id="mp-otd-h2" style="margin:3px; background:#cedff2; font-size:120%; font-weight:bold; border:1px solid #a3b0bf; text-align:left; color:#000; padding:0.2em 0.4em;">पुरस्कार और सम्मान...</h2>
 
! style="padding:2px;" | <h2 id="mp-otd-h2" style="margin:3px; background:#cedff2; font-size:120%; font-weight:bold; border:1px solid #a3b0bf; text-align:left; color:#000; padding:0.2em 0.4em;">पुरस्कार और सम्मान...</h2>

०५:३४, ७ मार्च २०१५ का अवतरण

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१,३३४ लेख हिंदी में

प्रमुख लेख

नवगीत की परिभाषा
नवगीत में गीत होना ज़रूरी है। यों तो किसी भी गुनगुनाने योग्य शब्द रचना को गीत कहने से नहीं रोका जा सकता। किसी एक ढाँचे में रची गयीं समान पंक्तियो वाली
वर्ली कलाकृति।
कविता को किसी ताल में लयबद्ध करके गाया जा सकता हो तो वह गीत की श्रेणी में आती है, किन्तु साहित्य के मर्मज्ञों ने गीत और कविता में अन्तर करने वाले कुछ सर्वमान्य मानक तय किये हैं। छन्दबद्ध कोई भी कविता गायी जा सकती है पर उसे गीत नहीं कहा जाता। गीत एक प्राचीन विधा है जिसका हिंदी में व्यापक विकास छायावादी युग में हुआ। गीत में स्थाई और अंतरे होते हैं। स्थाई और अन्तरों में स्पष्ट भिन्नता होनी चाहिये। प्राथमिक पंक्तियां जिन्हें स्थाई कहते हैं, प्रमुख होती है, और हर अन्तरे से उनका स्पष्ट सम्बन्ध दिखाई देना चाहिये। गीत में लय, गति और ताल होती है। इस तरह के गीत में गीतकार कुछ मौलिक नवीनता ले आये तो वह नवगीत कहलाने लगता है। विस्तार में... नवगीत की परिभाषा

क्या आप जानते हैं...

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  • नवगीत, हिन्दी काव्य-धारा की एक नवीन विधा है।
  • नवगीत के प्रवर्तक सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' माने जाते हैं।
  • नवगीत आंदोलन की स्थापना का श्रेय शंभुनाथ सिंह को दिया जाता है।
  • आंचलितकता, लोक गीतात्मकता और लोक गीतात्मक प्रवृत्तियों के साथ साथ नवगीत महानगर और प्रकृति के सामयिक यथार्थ के साथ भी जुड़ा हुआ है।
  • नवगीत दशक-१ , नवगीत दशक-२, नवगीत दशक-३ नवगीतों के महत्त्वपूर्ण प्रारंभिक संकलन हैं।

नवगीत समाचार-

Unnamed
नई दिल्ली, पुस्तक मेले के इतिहास में पहली बार- १७ फरवरी, २०१५ (मंगलवार), समय - सुबह ११ से १२ बजे के बीच पुस्तक मेले के हॉल सख्या - आठ में नवगीत पर एक विशेष परिचर्चा / संवाद का आयोजन किया गया। ‘समाज का प्रतिबिम्ब हैं नवगीत’ विषय का प्रवर्तन करते हुए इस परिचर्चा का संचालन नवगीतकार ओमप्रकाश तिवारी ने किया। विषय पर वक्तव्य प्रस्तुत करने वाले अन्य विद्वान थे, वरिष्ठ नवगीतकार एवं समालोचक राधेश्याम बंधु, नवगीतकार एवं समीक्षक आचार्य संजीव सलिल, नवगीतकार डॉ. जगदीश व्योम तथा नवगीताकार सौरभ पांडेय। वक्तव्य के बाद प्रश्नोत्तरी दर्शकों के लिये विशेष आकर्षण रही। देखें- पुरालेख अन्य समाचार

पुरस्कार और सम्मान...

नचिकेता
नव गठित संस्थान ‘साहित्य की चौपाल’ एवं जनवादी लेखक संघ, छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में सिंघई विला, भिलाई में महा शिवरात्रि २० फरवरी, २०१२ को आयोजित एक भव्य समारोह में बिहार के सुविख्यात जनवादी नव गीतकार नचिकेता को प्रमोद वर्मा काव्य सम्मान-२०१० से सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय है कि प्रथम प्रमोद वर्मा काव्य सम्मान से चौथे सप्तक के कवि एवं राष्ट्रीय हिंदी अकादमी के अध्यक्ष डॉ. स्वदेश भारती को मई, २००९ में सम्मानित किया गया था। प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान के अध्यक्ष व पुलिस महानिदेशक, होमगार्डस् सुकवि श्री विश्वरंजन की अध्यक्षता में सम्पन्न इस आयोजन में छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के अध्यक्ष पं. दानेश्वर प्रसाद शर्मा, सुप्रसिद्ध समालोचक श्री ओमराज, देहरादून एवं वरिष्ठ कवि अशोक शर्मा विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

देखें- पुरालेख पुरस्कार समाचार

विशेष चित्र 

इंदिरा गाँधी के साथ नवगीतकार




नवगीतकार प्रधानमंत्री के साथ।

चित्र में दाएँ से- अशोक वाजपेयी (आकाशवाणी के तत्कालीन समाचारवाचक), देवेन्द्र कुमार, माहेश्वर तिवारी, श्रीकृष्ण (प्रकाशक), उमाकन्त मालवीय, श्रीमती श्रीकृष्ण, शम्भुनाथ सिंह, सुरेश, शम्भुनाथ सिंह जी की साली, इन्दिरा गांधी, यशपाल जैन, राजेन्द्र गौतम, खंडेलवाल (सांसद), सोम ठाकुर, शिवबहादुर सिंह भदौरिया, तथा पद्मश्री वीरेन्द्र प्रभाकर (छायाकार)।

बाह्य सूत्र


अन्य प्रकल्प

  • कार्टून



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