वर्ष २००४ में प्रकाशित नवगीत और उसका युगबोध राधेश्याम बंधु द्वारा संपादित अनेक समीक्षात्मक लेखों का संपादित संग्रह है। इसमें २७२ पृष्ठ हैं और मूल्य है २५० रुपये। प्रकाशक हैं समग्र चेतना, दिल्ली एवं वितरक है अनुभव प्रकाशन, गाजियाबाद।
इस संग्रह को छह भागों में बाँटा गया है।
- १. संपादकीय- हिंदी गीत : युगबोध का सवाल उपेक्षित क्यों? इस भाग में संपादक राधेश्याम बंधु द्वारा अपनी बात कही गयी है।
- २. परिचर्चा - हिंदी गीत और उसका युगबोध। इस शीर्षक के अंतर्गत दूसरे भाग में डॉ.नामवर सिंह, डॉ. मैनेजर पाण्डेय, डॉ. गंगाप्रसाद विमल, विजय किशोर मानव और प्रेमशंकर रघुवंशी जैसे १७ विद्वानों के लेखों का संग्रह है।
- ३. नवगीत-मूल्यांकन- नवगीत की विकास यात्रा। इस शीर्षक के अंतर्गत डॉ. राजेन्द्र गौतम, नचिकेता और भारतेन्दु मिश्र आदि १० विद्वानों के लेखों का संग्रह है।
- ४. नवगीत जनगीत खंड-१ के अंतर्गत चौथे भाग में डॉ. रामदरश मिश्र से लेकर यश मालवीय तक २६ रचनाकारों की रचनाओं का संग्रह है।
- ५. नवगीत जनगीत खंड-२ के अंतर्गत बालस्वरूप राही से लेकर मधुकर गौड़ तक ४८ नवगीतकारों की रचनाओं का संग्रह है।
- ६. कुछ टिप्पणियाँ शीर्षक के अंतर्गत कविता और साहित्य के विषय में लिखे गये लेनिन, नागार्जुन, मुक्तबोद और डॉ शिवकुमार मिश्र के आलेख हैं।