२०१२-२०१३ में प्रकाशित, 'टुकड़ा कागज का', रचनाकार- अवनीश सिंह चौहान का पहला नवगीत संग्रह है। इसके प्रकाशक हैं— विश्व पुस्तक प्रकाशन, दिल्ली, और ११२ पृष्ठ की इस पुस्तक का मूल्य १२५/- रूपये है। इस संग्रह को अभिव्यक्ति विश्वम द्वारा २०११ के अंतरराष्ट्रीय नवांकुर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इस संग्रह को वर्ष २०१४ में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा हरिवंशराय बच्चन युवा गीतकार सम्मान से भी अलंकृत किया जा चुका है।
आज के हिन्दी नवगीत की मुख्य भंगिमा फ़िलवक्त से वार्तालाप करने की, वर्तमान परिवेश से प्रश्न करने की है। समकालीनता उसकी प्रमुख पहचान है। उसके यक्षप्रश्न मौज़ूदा यथास्थिति के विरोध में खड़े उसको नकारने की मुद्रा में दीखते हैं। वे प्रश्न किसी नकारात्मक सोच के परिचायक न होकर उस सकारात्मकता से उपजते हैं, जो भारत की शाश्वत ऋषि-परम्परा से हमें जोड़ती है। वस्तुतः परम्परा का विकास वर्तमानता के संस्कार और उसके उत्तरोत्तर विकास से ही होती है। आज का नवगीत इसी अर्थ में समकालीन भी है और सनातन आशावादिता से जुड़ाव का वाचक भी है। मैं रू-ब-रू हूँ युवा गीतकवि अवनीश सिंह चौहान के प्रवेश कविता संग्रह 'टुकड़ा कागज़ का' की रचनाओं से, जो इस बात की तसदीक़ करती हैं। इसका दूसरा संस्करण बोधि प्रकाशन, जयपुर से २०१४ में प्रकाशित हुआ।
बाह्य सूत्र[]
- टुकड़ा कागज का के बारे मेें कुमार रवीन्द्र के शब्द।
- टुकड़ा कागज़ का ई-संस्करण
अभिव्यक्ति विश्वम का नवांकुर पुरस्कार
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अवनीश सिंह चौहान * कल्पना रामानी * रोहित रूसिया * आचार्य संजीव वर्मा सलिल * ओमप्रकाश तिवारी * संध्या सिंह * शुभम श्रीवास्तव ओम * रविशंकर मिश्र रवि * योगेन्द्र प्रताप मौर्य |