२०१४ में प्रकाशित जहाँ दरककर गिरा समय भी राघवेन्द्र तिवारी का पहला नवगीत संग्रह है। ११४ गीतों के इस संग्रह में ११६ पृष्ठ हैं और इसका मूल्य है ३०० रुपये। प्रकाशक हैं- पहले पहल प्रकाशन, २५-ए, प्रेस काम्प्लेक्स, भोपाल।
राघवेन्द्र तिवारी के पास अनुभव का विशाल खजाना है तो लोक जीवन की अनुभूतियाँ भी हैं। वे जो कुछ कहना चाहते हैं उसे कहने के लिए उनके पास टटके प्रतीक और मुहावरे हैं। पारिवारिक रिश्तों के बीच खट्टे मीठे अछूते अनुभव उनके नवगीतों में एक अलग किस्म की ताजगी का अहसास कराते हैं। छन्द पर उनकी पकड़ गजब की है यही कारण है कि वे गीत की लय कहीं टूटने नहीं देते हैं। वे इस तरह से गीत रचते हैं मानो बात कर रहे हों ।
बाह्य सूत्र[]
- जहाँ दरक कर गिरी समय भी संग्रह और संकलन में डॉ. जगदीश व्योम की समीक्षा।