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२००८ में प्रकाशित उस गली के मोड़ पर, रचनाकार- यशोधरा राठौर का पहला नवगीत संग्रह है। इसके प्रकाशक हैं- अभिधा प्रकाशन, राम दयालु नगर, मुजफ्फरपुर, बिहार,   मूल्य है १०० रुपये और इसमें ११२ पृष्ठ हैं।

उस गली के मोड़ पर गीत भी है और प्रगीत भी। तात्पर्य यह कि उनमें यह कला है कि वे समष्टि-चेतना को निजता में ढाल देती हैं और निजता को समष्टि-चेतना में। व्यक्ति और समाज के द्वंद्वात्मक सम्बन्धों से उनके इन गीतों की रचना हुई है। यशोधरा जी के प्रगीतों में ऐन्द्रिकता है। इन्द्रियों की राह से गुजरकर प्रेम आकर्षक बनता है। उनमें उद्दाम ऐन्द्रिक आकर्षण है। कहीं-कहीं तो ऐन्द्रिक बोध बहुत ही मोहक है।

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